ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव और अमेरिका की एंट्री ने ग्लोबल डिफेंस मार्केट में हलचल मचा दी है। इस भू-राजनीतिक उथल-पुथल का असर भारत के डिफेंस सेक्टर की कंपनियों, खासकर हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीस पर साफ दिखाई दे रहा है। ये कंपनियां न केवल भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करती हैं, बल्कि इजरायल जैसे देशों को भी महत्वपूर्ण डिफेंस प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट करती हैं। सोमवार, 24 जून 2025 को इनके शेयरों पर निवेशकों की खास नजर रहेगी। आइए, इन कंपनियों के योगदान, उनके स्टॉक परफॉर्मेंस, और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से जानते हैं।
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL): भारत का रक्षा दिग्गज
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत की सबसे प्रमुख डिफेंस कंपनियों में से एक है। यह कंपनी भारतीय सेना के लिए लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, एवियोनिक्स सिस्टम, इंजन, स्पेयर पार्ट्स, और एयरोस्पेस स्ट्रक्चर डिजाइन करने, बनाने, और अपग्रेड करने का काम करती है। HAL ने भारत के कुछ सबसे उन्नत रक्षा प्लेटफॉर्म विकसित किए हैं, जैसे:
- तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA): हल्का और बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान।
- एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH): मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर।
- लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (LCH) ‘प्रचंड’: उच्च ऊंचाई पर ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन किया गया।
HAL का इजरायल के साथ भी गहरा सहयोग है। यह इजरायल को एडवांस्ड मटेरियल और पे लोड असेंबली एक्सपोर्ट करता है, हालांकि इसका सटीक आंकड़ा सार्वजनिक नहीं है। HAL का Israel Aerospace Industries (IAI) के साथ साझेदारी में सिविल एयरक्राफ्ट को मिलिट्री प्लेटफॉर्म में बदलने और ड्रोन तकनीक विकसित करने का काम चल रहा है। यह सहयोग भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और मजबूत करता है।
HAL का स्टॉक परफॉर्मेंस
HAL के शेयरों ने पिछले पांच सालों में निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। 20 जून 2025 को कंपनी के शेयर 1.46% की बढ़त के साथ 4,971.95 रुपये पर बंद हुए, जिससे निवेशकों को प्रति शेयर 71.60 रुपये का मुनाफा हुआ। पिछले पांच सालों में HAL ने 1,297.99% का रिटर्न दिया, यानी प्रति शेयर 4,616.30 रुपये का लाभ। हालांकि, पिछले एक साल में इसका रिटर्न नेगेटिव रहा, लेकिन हाल के भू-राजनीतिक तनावों ने इसके शेयरों में दोबारा तेजी ला दी है।
पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीस: उभरता सितारा
पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीस भारत के डिफेंस और स्पेस सेक्टर की एक उभरती हुई कंपनी है। यह ऑप्टिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, और हेवी इंजीनियरिंग में स्वदेशी प्रोडक्ट्स और सॉल्यूशंस प्रदान करती है। कंपनी की कुल आय का 16% हिस्सा एक्सपोर्ट से आता है, जिसमें इजरायल भी शामिल है।
पारस डिफेंस की इजरायली कंपनियों के साथ मजबूत साझेदारी है। इसका एक जॉइंट वेंचर CONTROP Precision Technologies के साथ है, जो जमीन, हवा, और समुद्र के लिए इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स/इंफ्रारेड (EO/IR) पे लोड्स बनाता है। हाल ही में, कंपनी ने Heven Drones Ltd. के साथ एक और जॉइंट वेंचर शुरू किया, जिसमें पारस की 51% हिस्सेदारी है। यह साझेदारी ‘मेक इन इंडिया’ के तहत लॉजिस्टिक्स और कार्गो ड्रोन, विशेष रूप से हाइड्रोजन-पावर्ड ड्रोन तकनीक, विकसित करने पर केंद्रित है।
पारस डिफेंस का स्टॉक परफॉर्मेंस
पारस डिफेंस के शेयरों ने पिछले एक महीने में 1.57% का रिटर्न दिया। 20 जून 2025 को इसके शेयर 1.32% की बढ़त के साथ 1,654.45 रुपये पर बंद हुए, जिससे निवेशकों को प्रति शेयर 21.50 रुपये का मुनाफा हुआ। पिछले पांच सालों में शेयर ने 248.31% का रिटर्न दिया, यानी प्रति शेयर 1,179.45 रुपये का लाभ। कंपनी का ऑर्डर बुक 9 अरब रुपये का है, जो जल्द ही 10 अरब रुपये तक पहुंच सकता है, जो इसके मजबूत भविष्य को दर्शाता है।
ईरान-इजरायल तनाव और अमेरिकी हस्तक्षेप का असर
ईरान और इजरायल के बीच तनाव का असर ग्लोबल डिफेंस मार्केट पर साफ दिख रहा है। अमेरिका के हस्तक्षेप ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे डिफेंस सेक्टर में ऑर्डर और निवेश की संभावनाएं बढ़ गई हैं। भारत की डिफेंस कंपनियां, जैसे HAL और पारस डिफेंस, इस स्थिति का फायदा उठा सकती हैं। भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने इन कंपनियों को स्वदेशी रक्षा उत्पादन में अग्रणी बनाया है।
हाल के तनावों के कारण डिफेंस स्टॉक्स में उछाल देखा गया है। 13 जून 2025 को Nifty India Defence Index 2.5% बढ़ा, जिसमें HAL और पारस डिफेंस जैसे शेयरों ने 1-6% की बढ़त दर्ज की। यह तेजी निवेशकों के बीच बढ़ते विश्वास को दर्शाती है, जो डिफेंस सेक्टर को भू-राजनीतिक अस्थिरता के दौरान सुरक्षित निवेश मानते हैं।
निवेशकों के लिए क्या है संदेश?
HAL और पारस डिफेंस जैसे डिफेंस स्टॉक्स लंबी अवधि के लिए आकर्षक हो सकते हैं। इन कंपनियों की मजबूत ऑर्डर बुक, सरकारी समर्थन, और इजरायल जैसे देशों के साथ सहयोग उन्हें निवेशकों के लिए पसंदीदा बनाता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा वैल्यूएशन कुछ हद तक ऊंची हो सकती है। प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटीज के हेड ऑफ रिसर्च, अविनाश गोरक्षकर, सुझाव देते हैं कि निवेशकों को कम से कम दो साल की लंबी अवधि के लिए इन स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए।
निवेशकों को कंपनी के फंडामेंटल्स, कॉर्पोरेट गवर्नेंस, और वैल्यूएशन पर ध्यान देना चाहिए। भू-राजनीतिक तनावों के कारण शॉर्ट-टर्म में अस्थिरता हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में डिफेंस सेक्टर की ग्रोथ संभावनाएं मजबूत हैं।
निष्कर्ष
ईरान-इजरायल तनाव और अमेरिकी हस्तक्षेप ने डिफेंस सेक्टर को निवेशकों के लिए आकर्षक बना दिया है। HAL और पारस डिफेंस जैसी कंपनियां न केवल भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा कर रही हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी मौजूदगी बढ़ा रही हैं। इनके शेयरों ने पिछले कुछ सालों में शानदार रिटर्न दिया है, और भविष्य में भी इनके प्रदर्शन पर नजर रखने की जरूरत है।
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