अनिल अंबानी की कंपनियों पर ED की कार्रवाई खत्म, रिलायंस पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर का बयान

अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हालिया जांच अब समाप्त हो चुकी है। रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने रविवार को स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया कि ED की तलाशी कार्रवाई पूरी हो गई है और इसका उनके कारोबार, प्रदर्शन या शेयरहोल्डर्स पर कोई असर नहीं पड़ा है। दोनों कंपनियों ने अपने आधिकारिक बयानों में यह भी स्पष्ट किया कि उनका रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) से कोई व्यावसायिक या वित्तीय संबंध नहीं है। इस लेख में हम इस मामले की पूरी जानकारी और इसके प्रभावों को विस्तार से समझेंगे।

ED की कार्रवाई: 3 दिन, 35 से अधिक जगहों पर छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 24 जुलाई 2025 से 26 जुलाई 2025 तक मुंबई और दिल्ली में 35 से अधिक स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की गई थी, जिसमें कथित तौर पर 3,000 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले की जांच शामिल थी। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में रिलायंस ग्रुप और यस बैंक के बीच पुराने लेनदेन की जांच हो रही थी। ED ने इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और कंप्यूटर उपकरण जब्त किए। हालांकि, रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने साफ किया कि इस जांच का उनके मौजूदा कारोबार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।

रिलायंस पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर का बयान

रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने अपने बयानों में कहा कि उन्होंने ED की जांच में पूरा सहयोग किया और आगे भी ऐसा ही करेंगे। दोनों कंपनियों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी कारोबारी गतिविधियां सामान्य रूप से चल रही हैं। स्टॉक एक्सचेंजों को दी गई जानकारी में कंपनियों ने बताया कि उनकी वित्तीय स्थिति और संचालन पर इस कार्रवाई का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।

इन कंपनियों ने यह भी जोर देकर कहा कि उनका RCOM और RHFL से कोई सीधा संबंध नहीं है। रिलायंस कम्युनिकेशंस पिछले छह सालों से कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) से गुजर रही है, जबकि RHFL का मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हल हो चुका है। मीडिया में चल रहे कुछ आरोप 10 साल पुराने लेनदेन से जुड़े हैं, जो अभी सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में लंबित हैं।

अनिल अंबानी की भूमिका

रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने अपने बयानों में यह भी साफ किया कि अनिल अंबानी अब इन दोनों कंपनियों के बोर्ड में शामिल नहीं हैं। इसलिए, RCOM और RHFL से जुड़ी किसी भी जांच का इन कंपनियों के संचालन या गवर्नेंस पर कोई असर नहीं पड़ता। यह जानकारी निवेशकों और शेयरहोल्डर्स के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कंपनियों की स्वतंत्रता और पारदर्शिता को दर्शाती है।

शेयर बाजार पर असर

ED की कार्रवाई की खबरों के बाद शुक्रवार को शेयर बाजार में रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में गिरावट देखी गई। रिलायंस पावर के शेयर 4.99% गिरकर 56.72 रुपये पर बंद हुए, जो पिछले बंद भाव 59.70 रुपये से कम था। वहीं, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयर 5% की गिरावट के साथ 342.05 रुपये पर बंद हुए, जो पिछले बंद भाव 360.05 रुपये से कम था। हालांकि, दोनों कंपनियों के शेयरों में हाल के दिनों में तेजी देखी गई थी, लेकिन इस कार्रवाई ने निवेशकों के भरोसे को थोड़ा कमजोर किया।

निष्कर्ष

रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने ED की कार्रवाई के बाद अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। दोनों कंपनियों ने कहा कि वे पूरी तरह से स्वतंत्र हैं और RCOM या RHFL से उनका कोई संबंध नहीं है। साथ ही, अनिल अंबानी के बोर्ड में न होने से इन कंपनियों की गवर्नेंस पर कोई असर नहीं पड़ता। शेयर बाजार में हालिया गिरावट के बावजूद, कंपनियां अपने कारोबार को सामान्य रूप से चला रही हैं। यह जानकारी निवेशकों और आम जनता के लिए महत्वपूर्ण है, जो रिलायंस ग्रुप की मौजूदा स्थिति को समझना चाहते हैं।

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