भारत की अग्रणी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) कंपनी ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में 23 जून 2025 को भारी गिरावट देखने को मिली। कंपनी का शेयर 6% से अधिक टूटकर ₹43.20 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। इस गिरावट का मुख्य कारण ₹107 करोड़ की ब्लॉक डील को माना जा रहा है, जिसने बाजार में निवेशकों का भरोसा डगमगाया। आइए, इस गिरावट के कारणों, बाजार की स्थिति और निवेशकों के लिए सलाह पर विस्तार से नजर डालते हैं।
ब्लॉक डील ने बढ़ाई चिंता
सुबह के कारोबारी सत्र में ओला इलेक्ट्रिक के 2.41 करोड़ शेयर, यानी कंपनी की 0.55% इक्विटी, ₹44 प्रति शेयर की औसत कीमत पर बेची गई। इस ब्लॉक डील की कुल वैल्यू ₹107 करोड़ रही। हालांकि, खरीदार और विक्रेता की पहचान अभी सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन बाजार सूत्रों का मानना है कि यह किसी बड़े संस्थागत निवेशक की मुनाफावसूली हो सकती है। इससे पहले जून 2025 में ही ह्युंडई मोटर इंडिया ने कंपनी में अपनी 2.47% हिस्सेदारी (14.22 करोड़ शेयर) ₹51.4 प्रति शेयर की दर से बेची थी, जिसकी वैल्यू ₹731 करोड़ थी।
शेयर प्राइस का हाल
ओला इलेक्ट्रिक का शेयर, जो कुछ दिन पहले ₹47 के आसपास ट्रेड कर रहा था, 23 जून को BSE पर ₹43.20 तक लुढ़क गया। यह स्तर कंपनी के IPO इश्यू प्राइस (₹76) से 43% और 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर (₹157.50) से 72% नीचे है। दिन के अंत में शेयर ₹43.99 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 4.5% कम था। X पर कुछ निवेशकों ने इसे “नया निचला स्तर” करार दिया, और तकनीकी विश्लेषकों ने चेतावनी दी कि ₹45 से नीचे बंद होने पर शेयर में और 20% गिरावट आ सकती है।
गिरावट के प्रमुख कारण
विश्लेषकों के अनुसार, ओला इलेक्ट्रिक के शेयर में गिरावट के पीछे कई कारक हैं:
- कमजोर फाइनेंशियल परफॉर्मेंस: Q4 FY25 (जनवरी-मार्च 2025) में कंपनी का नेट लॉस बढ़कर ₹870 करोड़ हो गया, जो पिछले साल की समान तिमाही में ₹416 करोड़ था। ऑपरेशनल रेवेन्यू 62% गिरकर ₹611 करोड़ रहा, जबकि वाहन रजिस्ट्रेशन 52% घटकर 56,760 यूनिट्स रह गए। EBITDA मार्जिन -101% रहा, जो एकमुश्त ₹250 करोड़ के वारंटी प्रावधान के कारण और खराब हुआ।
- बढ़ती प्रतिस्पर्धा: बजाज ऑटो और TVS मोटर जैसी पारंपरिक कंपनियों ने इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। FY25 में इन दोनों ने हाई-स्पीड ई-स्कूटर मार्केट में 40% हिस्सा हासिल किया, जो FY22 में केवल 7% था।
- रेगुलेटरी और सब्सिडी अनिश्चितता: अप्रैल 2024 में FAME-2 सब्सिडी खत्म होने से EV की कीमतें बढ़ीं, जिसका असर पूरे सेक्टर की बिक्री पर पड़ा। ओला की तिमाही डिलीवरी Q1 FY25 के 1,25,198 यूनिट्स से घटकर Q4 FY25 में 51,375 यूनिट्स रह गई।
- उपभोक्ता शिकायतें: अक्टूबर 2024 में भारत की उपभोक्ता अधिकार एजेंसी ने ओला को 10,664 शिकायतों (डिलीवरी देरी, खराब सर्विस, गलत विज्ञापन) के लिए नोटिस भेजा था। हालांकि कंपनी ने 99% शिकायतें सुलझाने का दावा किया, लेकिन जांच जारी है, जिसने ब्रांड इमेज को नुकसान पहुंचाया।
- इनसॉल्वेंसी याचिका: मार्च 2025 में Rosmerta Digital Services ने ओला की सब्सिडियरी, ओला इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजीज, के खिलाफ पेमेंट डिफॉल्ट का हवाला देकर NCLT में याचिका दायर की। कंपनी ने इन आरोपों का खंडन किया है, लेकिन इसने निवेशकों के बीच अनिश्चितता बढ़ाई।
कंपनी की स्थिति
ओला इलेक्ट्रिक भारत के ई-स्कूटर मार्केट में 30% हिस्सेदारी के साथ अग्रणी है, लेकिन FY25 में उसका रेवेन्यू 9% गिरकर ₹4,645 करोड़ रहा। कंपनी ने 3.59 लाख स्कूटर डिलीवर किए, जो FY24 के 3.29 लाख से अधिक है, लेकिन S1 X जैसे कम कीमत वाले मॉडल्स की बिक्री बढ़ने से औसत बिक्री मूल्य घटा।
कंपनी ने लागत कम करने के लिए “प्रोजेक्ट लक्ष्य” शुरू किया है, जिसका लक्ष्य ऑटो सेगमेंट का ऑपरेटिंग कॉस्ट ₹110 करोड़ प्रति माह तक लाना है। अप्रैल 2025 तक यह ₹121 करोड़ था, और जून 2025 तक लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद है। CEO भाविश अग्रवाल ने Q1 FY26 में रेवेन्यू ₹800-850 करोड़, डिलीवरी 65,000 यूनिट्स, और ग्रॉस मार्जिन 28-30% तक सुधार की उम्मीद जताई है।
निवेशकों के लिए सलाह
विश्लेषकों की राय मिली-जुली है। आठ ब्रोकरेज हाउस में से तीन ने “बाय”, दो ने “होल्ड”, और तीन ने “सेल” रेटिंग दी है। औसत 12-महीने का टारगेट प्राइस ₹45.23 है, जो मौजूदा स्तर से 2.3% अपसाइड दर्शाता है।
- गोल्डमैन सैक्स: “बाय” रेटिंग, ₹70 टारगेट (31% अपसाइड)। उनका मानना है कि Gen 3 प्रोडक्ट लाइन और बैटरी प्रोडक्शन से रिकवरी होगी।
- कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज: “सेल” रेटिंग, ₹30 टारगेट (32% डाउनसाइड)। उनका कहना है कि ब्रांड इमेज और प्रतिस्पर्धा के कारण EBITDA लॉस जारी रहेगा।
- वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज: हाई-रिस्क निवेशकों को होल्ड करने की सलाह, क्योंकि EV सेक्टर का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन शॉर्ट टर्म में चुनौतियां बनी रहेंगी।
निष्कर्ष
ओला इलेक्ट्रिक के शेयर में हाल की गिरावट EV सेक्टर की चुनौतियों और कंपनी की वित्तीय स्थिति को दर्शाती है। हालांकि, कंपनी की वर्टिकल इंटीग्रेशन, R&D फोकस, और भारत में EV अपनाने की बढ़ती मांग इसके लॉन्ग-टर्म प्रॉस्पेक्ट्स को मजबूत बनाती है। शॉर्ट-टर्म निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए, जबकि लॉन्ग-टर्म निवेशक Q1 FY26 के परिणामों और बैटरी प्रोडक्शन की प्रगति पर नजर रख सकते हैं। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।
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