Suzlon Energy: विंड एनर्जी में ग्लोबल लीडर, क्या शेयरों में आएगी 24% की तेजी?

भारत की अग्रणी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी Suzlon Energy ने विंड टर्बाइन डिजाइन, निर्माण, और विंड फार्म डेवलपमेंट में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। 1995 में तुलसी टांती द्वारा स्थापित यह कंपनी आज 17 देशों में 20.9 गीगावाट (GW) की स्थापित क्षमता के साथ ग्लोबल लीडर है। हाल ही में कंपनी के शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है, खासकर जब से ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने स्टॉक पर ‘बाय’ रेटिंग दी है, जिसमें 82 रुपये का टारगेट प्राइस तय किया गया है।

Suzlon Energy का सफर और विशेषताएं

Suzlon Energy की स्थापना 1995 में गुजरात में 3 मेगावाट (MW) के विंड फार्म प्रोजेक्ट के साथ हुई थी। आज यह कंपनी विंड टर्बाइन जनरेटर्स (WTGs) के डिजाइन, निर्माण, इंस्टॉलेशन, और मेंटेनेंस में विशेषज्ञता रखती है। इसके प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में S144, S133, और S120 जैसे उन्नत विंड टर्बाइन शामिल हैं, जो विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के लिए अनुकूलित हैं। S144 टर्बाइन, जो 160 मीटर तक की ऊंचाई पर काम करता है, पिछले मॉडल्स की तुलना में 40-43% अधिक ऊर्जा उत्पादन करता है। कंपनी की सब्सिडियरी, SE Forge, टर्बाइन के प्रमुख कंपोनेंट्स जैसे ब्लेड, टावर, और गियरबॉक्स का निर्माण करती है, जबकि Suzlon Global Services Limited (SGSL) 11.9 GW की विंड एसेट्स का प्रबंधन करती है।

मोतीलाल ओसवाल की ‘बाय’ रेटिंग: क्या है वजह?

मोतीलाल ओसवाल ने Suzlon Energy पर अपनी ‘बाय’ रेटिंग को बरकरार रखते हुए 82 रुपये का टारगेट प्राइस तय किया है। इसके पीछे कई कारण हैं। पहला, भारत सरकार की रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने की नीतियां, खासकर विंड एनर्जी को 2030 तक 20% रिन्यूएबल मिक्स में शामिल करने का लक्ष्य। दूसरा, हाल ही में मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (MNRE) द्वारा जारी ड्राफ्ट RLMM नोटिफिकेशन, जो विंड टर्बाइन के प्रमुख कंपोनेंट्स के लिए स्थानीय निर्माण को अनिवार्य करता है। यह नियम Suzlon जैसी भारतीय कंपनियों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह चीनी और यूरोपीय कंपनियों से प्रतिस्पर्धा को कम करता है।

क्या हैं जोखिम?

हालांकि Suzlon की संभावनाएं मजबूत हैं, कुछ जोखिम भी हैं। चीनी और यूरोपीय कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, और प्रोजेक्ट्स में देरी जैसे कारक मार्जिन पर दबाव डाल सकते हैं। इसके अलावा, टेक्नोलॉजी में बदलाव से प्रोडक्ट्स के पुराने होने का खतरा भी है। फिर भी, कंपनी का मजबूत ऑर्डर बुक और सरकारी नीतियों का समर्थन इन जोखिमों को कम करता है।

निष्कर्ष

Suzlon Energy भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में एक मजबूत खिलाड़ी है, जिसके पास तकनीकी विशेषज्ञता, मजबूत ऑर्डर बुक, और सरकारी समर्थन है। शेयरों में हाल की गिरावट के बावजूद, विश्लेषकों का सकारात्मक दृष्टिकोण और कंपनी की ग्रोथ संभावनाएं इसे लंबी अवधि के निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती हैं। क्या Suzlon अपने ग्लोबल लीडरशिप को और मजबूत कर पाएगी? यह तो आने वाला समय बताएगा।

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